Marital Rape Explained: भारत में वैवाहिक बलात्कार कानून और बहस

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विवाह को भारतीय समाज में एक पवित्र बंधन माना जाता है, जिसमें पति और पत्नी के बीच विश्वास, सम्मान और प्रेम की भावना होती है। हालांकि, जब इस रिश्ते में जबरदस्ती और हिंसा शामिल हो जाती है, तो यह एक गंभीर अपराध बन जाता है। विवाह के भीतर बलात्कार (Marital Rape) एक ऐसा विषय है जिस पर भारत में लंबे समय से बहस चल रही है। सवाल यह उठता है कि यदि कोई महिला अपने पति की शारीरिक इच्छाओं के लिए सहमति नहीं देती है और फिर भी जबरदस्ती संबंध बनाया जाता है, तो क्या इसे बलात्कार माना जाना चाहिए?

Marital Rape क्या है?

Marital Rape का अर्थ है पति द्वारा पत्नी के साथ उसकी सहमति के बिना जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाना। यह बलात्कार का एक प्रकार है, जिसमें पत्नी की इच्छाओं की अवहेलना कर शारीरिक संबंध बनाए जाते हैं।

"Consent" यानी सहमति का मतलब यह होता है कि कोई व्यक्ति अपनी मर्जी से किसी कार्य के लिए तैयार हो। यदि कोई महिला 'ना' कह रही है, या मजबूरी में चुप है, या डर के कारण विरोध नहीं कर रही, तो इसे सहमति नहीं माना जाता।

भारत और अन्य देशों में Marital Rape का कानून

Marital Rape को दुनिया के 150 से अधिक देशों में अपराध माना जाता है, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:

✅ अमेरिका (1976)
✅ ब्रिटेन (1991)
✅ चीन (2015)
✅ फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, नेपाल, सिंगापुर आदि।

हालांकि, भारत में Marital Rape को अब भी अपराध नहीं माना जाता। वर्तमान में, भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 63 के अनुसार, यदि पत्नी की उम्र 18 वर्ष से कम है और उसके साथ जबरदस्ती संबंध बनाए जाते हैं, तो इसे बलात्कार माना जाता है। लेकिन यदि पत्नी 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र की है, तो उसके पति के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज नहीं किया जा सकता।

Marital Rape पर न्यायालय की वर्तमान स्थिति

Marital Rape को अपराध घोषित करने की मांग पर न्यायालयों में महत्वपूर्ण बहस चल रही है।

  • दिल्ली उच्च न्यायालय का विभाजित फैसला (2022): न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने Marital Rape के अपवाद को असंवैधानिक करार दिया, जबकि न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर ने इसे सही ठहराया। इस विभाजित फैसले के कारण मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा।
  • सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई (2025): सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर इस मामले पर प्रतिक्रिया मांगी है। सरकार का तर्क है कि मौजूदा कानूनों में पत्नी की सुरक्षा के लिए पर्याप्त प्रावधान हैं और Marital Rape को अपराध घोषित करने से पारिवारिक संरचना प्रभावित हो सकती है। अब 2025 में इस मामले की सुनवाई होगी।

Marital Rape पर समर्थन और विरोध

Marital Rape को अपराध घोषित करने को लेकर भारत में दो विरोधी दृष्टिकोण हैं।

समर्थन में तर्क

  1. शादी के बाद भी महिला की सहमति जरूरी है: विवाह का मतलब यह नहीं है कि पति को जबरदस्ती करने का अधिकार मिल जाता है।
  2. महिला के मौलिक अधिकारों की रक्षा: अनुच्छेद 21 के तहत, हर नागरिक को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार है।
  3. मानसिक और शारीरिक शोषण: Marital Rape से महिलाएं अवसाद, PTSD, आत्महत्या के विचार और घरेलू हिंसा का शिकार हो सकती हैं।
  4. दुनिया के 150+ देशों में यह अपराध है: जब इतने देशों में यह अपराध माना जाता है, तो भारत में क्यों नहीं?
  5. घरेलू हिंसा कानून पर्याप्त नहीं हैं: वर्तमान कानूनों में Marital Rape को विशेष रूप से अपराध की श्रेणी में नहीं रखा गया है।

विरोध में तर्क

  1. विवाह संस्था पर असर: Marital Rape को अपराध बनाने से पति-पत्नी के रिश्ते में अविश्वास बढ़ सकता है।
  2. झूठे आरोपों की संभावना: कुछ लोगों का मानना है कि महिलाएं झूठे केस दर्ज करवा सकती हैं।
  3. पहले से मौजूद कानून: 498A और घरेलू हिंसा कानून पहले से मौजूद हैं, नए कानून की जरूरत नहीं है।
  4. सबूत जुटाना मुश्किल: Marital Rape के मामलों में सहमति साबित करना या नकारना न्यायालय के लिए चुनौतीपूर्ण होगा।

Marital Rape को अपराध घोषित करने की आवश्यकता

Marital Rape को अपराध घोषित करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिए:

  1. सहमति की स्पष्ट परिभाषा: विवाह के भीतर भी सहमति को मान्यता दी जानी चाहिए।
  2. Marital Rape को BNS के तहत अपराध घोषित किया जाए।
  3. महिलाओं के लिए अलग से हेल्पलाइन और सपोर्ट सिस्टम बनाए जाएं।
  4. झूठे मामलों को रोकने के लिए सख्त जांच प्रक्रिया अपनाई जाए।

Marital Rape एक गंभीर मुद्दा है, जिसे केवल सामाजिक नहीं बल्कि कानूनी रूप से भी संबोधित करने की आवश्यकता है। यह बहस केवल कानूनी बदलाव तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसे समाज की मानसिकता में परिवर्तन के रूप में भी देखा जाना चाहिए। एक विवाह में प्यार, सम्मान और परस्पर सहमति होनी चाहिए, न कि जबरदस्ती और हिंसा।